Third trimester of pregnancy-: प्रेग्नेंसी की तीसरी तिमाही में क्या होता है

Third trimester of pregnancy-: प्रेग्नेंसी की तीसरी तिमाही, गर्भवती महिला और उसके शिशु के लिए एक महत्वपूर्ण और चुनौतीपूर्ण समय होता है। यह तिमाही प्रेग्नेंसी के आखिरी तीन महीने होते हैं, जिनमें शिशु का विकास तेजी से होता है। इस समय शारीरिक और मानसिक बदलाव होते हैं, जो गर्भवती महिला के लिए काफी चुनौतीपूर्ण हो सकते हैं। इस लेख में हम आपको तीसरी तिमाही के दौरान होने वाले बदलावों, लक्षणों, और सावधानियों के बारे में विस्तार से बताएंगे।

Third trimester of pregnancy
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तीसरी तिमाही के दौरान शारीरिक और मानसिक बदलाव

जब महिला की प्रेग्नेंसी की तीसरी तिमाही शुरू होती है, तो वह अधिक थकावट महसूस करने लगती है। इस दौरान गर्भ में पल रहा शिशु तेजी से बढ़ रहा होता है, जिससे महिला को असहजता हो सकती है। उसकी शरीर की ज़रूरतें बदल जाती हैं और उसकी डाइट, आराम, और व्यायाम के बारे में खास ध्यान रखने की जरूरत होती है। साथ ही, यह तिमाही महिला के लिए मानसिक रूप से भी चुनौतीपूर्ण हो सकती है, क्योंकि डिलीवरी का समय नजदीक आ जाता है।

तीसरी तिमाही में शरीर में बदलाव

प्रेग्नेंसी की तीसरी तिमाही में महिला का पेट बहुत बड़ा हो जाता है और शिशु का आकार भी तेजी से बढ़ता है। इस दौरान महिला को सीने में जलन, सांस लेने में दिक्कत, पैरों और हाथों में सूजन जैसे लक्षण हो सकते हैं। शिशु का विकास भी इस दौरान अत्यधिक तेजी से होता है, और वह अपनी आखिरी शेप में आकार लेने लगता है।

तीसरी तिमाही के लक्षण

यूनिसेफ के अनुसार, तीसरी तिमाही में गर्भवती महिला को कुछ सामान्य लक्षण महसूस हो सकते हैं:

  • सीने में जलन: इस समय गर्भाशय का आकार बढ़ने के कारण पेट पर दबाव बढ़ता है, जिससे सीने में जलन हो सकती है।
  • सांस लेने में दिक्कत: शिशु के बढ़ते आकार के कारण महिला को सांस लेने में परेशानी हो सकती है।
  • सोने में दिक्कत: रात को नींद पूरी न होना भी एक सामान्य समस्या बन सकती है।
  • पैरों, हाथों और चेहरे में सूजन: शरीर में फ्लुइड रिटेंशन के कारण सूजन महसूस हो सकती है।

तीसरी तिमाही में शिशु का विकास

प्रेग्नेंसी की तीसरी तिमाही में शिशु का विकास अत्यधिक तेजी से होता है। 28वें सप्ताह से लेकर 40वें सप्ताह तक शिशु की मांसपेशियां, हड्डियां, और अंग पूरी तरह से विकसित होते हैं। 30वें सप्ताह तक शिशु का वजन बढ़कर लगभग 1 किलो हो जाता है, और वह अपनी आंखों से रोशनी देख सकता है। 35वें सप्ताह तक शिशु की किडनी और ह्रदय पूरी तरह से विकसित हो जाते हैं।

तीसरी तिमाही के दौरान हेल्थ चेकअप और टेस्ट

इस समय गर्भवती महिला को नियमित रूप से हेल्थ चेकअप और मेडिकल टेस्ट की आवश्यकता होती है। बच्चों की सेहत की निगरानी के लिए अल्ट्रासाउंड, रक्त परीक्षण, और अन्य स्वास्थ्य टेस्ट जरूरी होते हैं। इनमें से कुछ मुख्य टेस्ट निम्नलिखित हैं:

  • अल्ट्रासाउंड: शिशु का आकार और विकास की स्थिति जानने के लिए अल्ट्रासाउंड किया जाता है।
  • ब्लड टेस्ट: एनीमिया, सिफलिस, एचआईवी, और अन्य स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं का पता लगाने के लिए रक्त परीक्षण आवश्यक होते हैं।
  • यूरीन टेस्ट: प्रेग्नेंसी के दौरान महिला के मूत्र में शुगर और प्रोटीन की मात्रा का पता लगाने के लिए यूरीन टेस्ट किया जाता है।

तीसरी तिमाही में डाइट और पोषण

इस समय गर्भवती महिला को अपनी डाइट पर विशेष ध्यान देना चाहिए। क्योंकि इस समय शिशु तेजी से बढ़ रहा होता है, इसलिए महिला को अधिक पोषण की आवश्यकता होती है। तीसरी तिमाही में महिलाओं को निम्नलिखित आहार अपने भोजन में शामिल करना चाहिए:

पोषक तत्वों से भरपूर आहार

  • मौसमी फल: मौसमी फल जैसे सेब, केला, संतरा, कीवी आदि विटामिन और मिनरल्स से भरपूर होते हैं, जो शिशु के विकास के लिए आवश्यक हैं।
  • सब्जियां: पालक, गोभी, ब्रोकोली जैसी हरी सब्जियां गर्भवती महिला के लिए बहुत फायदेमंद होती हैं।
  • साबुत अनाज: साबुत अनाज जैसे ओट्स, ब्राउन राइस, और क्विनोआ में फाइबर और प्रोटीन की भरपूर मात्रा होती है।
  • हेल्दी फैट और ऑयल: जैसे एवोकाडो, जैतून का तेल और नट्स। ये शिशु के दिमागी विकास के लिए आवश्यक होते हैं।
  • विटामिन-ए: जैसे मछली, डेयरी प्रोडक्ट, और गाजर। ये शिशु के दृष्टि और इम्यून सिस्टम को बेहतर बनाने में मदद करते हैं।
  • विटामिन-सी: संतरा, स्ट्रॉबेरी, और कीवी में विटामिन-सी होता है, जो आयरन के अवशोषण में मदद करता है।

तीसरी तिमाही में सावधानियां

प्रेग्नेंसी की तीसरी तिमाही में कुछ विशेष सावधानियों का पालन करना आवश्यक है ताकि शिशु और मां दोनों की सेहत बनी रहे:

  • विटामिन और सप्लीमेंट्स: डॉक्टर द्वारा दिए गए विटामिन और मिनरल सप्लीमेंट्स का सेवन नियमित रूप से करें।
  • व्यायाम: इस समय हल्का-फुल्का व्यायाम करें, जैसे वॉकिंग और कीगल एक्सरसाइज, जो डिलीवरी को आसान बना सकते हैं।
  • अच्छी नींद: उचित नींद और आराम लेना बहुत जरूरी है ताकि शरीर को ताकत मिल सके।
  • पानी का सेवन: शरीर को हाइड्रेट रखने के लिए ज्यादा से ज्यादा पानी पिएं।
  • स्मोकिंग और कैफीन से बचें: स्मोकिंग और अधिक कैफीन का सेवन शिशु के लिए हानिकारक हो सकता है।
  • भारी सामान से बचें: प्रेग्नेंसी के इस अंतिम चरण में भारी सामान उठाने से बचें।
  • दवाई लेने से पहले डॉक्टर से सलाह लें: कोई भी दवाई लेने से पहले डॉक्टर से सलाह लें।

प्रेग्नेंसी की तीसरी तिमाही में डिलीवरी के संकेत

तीसरी तिमाही के अंत में, महिला को डिलीवरी के संकेत मिल सकते हैं। ये संकेत शारीरिक बदलावों के रूप में होते हैं जैसे:

  • पेट के नीचे दबाव बढ़ना: जैसे-जैसे बच्चा जन्म के लिए तैयार होता है, उसका सिर नीचे की ओर आ जाता है, जिससे पेट के निचले हिस्से पर दबाव महसूस हो सकता है।
  • स्ट्रेच मार्क्स: जैसे-जैसे गर्भाशय बढ़ता है, महिला की त्वचा पर स्ट्रेच मार्क्स दिखाई दे सकते हैं।
  • पानी का रिसाव: अगर पानी का रिसाव होने लगे, तो यह संकेत हो सकता है कि डिलीवरी शुरू होने वाली है।

FAQs (अक्सर पूछे जाने वाले सवाल)

  1. तीसरी तिमाही में शिशु का विकास कैसा होता है?
    • तीसरी तिमाही में शिशु की मांसपेशियां, हड्डियां और अंग पूरी तरह से विकसित हो जाते हैं। शिशु अपना वजन बढ़ाता है और डिलीवरी के लिए तैयार होता है।
  2. क्या तीसरी तिमाही में वर्कआउट करना सुरक्षित होता है?
    • हल्के वर्कआउट जैसे वॉकिंग और कीगल एक्सरसाइज करना सुरक्षित होता है, लेकिन किसी भी नए व्यायाम को शुरू करने से पहले डॉक्टर से सलाह लें।
  3. क्या तीसरी तिमाही में यात्रा करना सुरक्षित होता है?
    • तीसरी तिमाही में लंबी यात्रा से बचना चाहिए। यह शारीरिक असुविधा और डिलीवरी के जोखिम को बढ़ा सकता है।
  4. क्या प्रेग्नेंसी के तीसरे महीने में डिलीवरी हो सकती है?
    • प्रेग्नेंसी के तीसरे महीने में डिलीवरी नहीं होती। यह समय शिशु के विकास के लिए है, और डिलीवरी आमतौर पर 37 से 40 हफ्तों के बीच होती है।
  5. तीसरी तिमाही में क्या डाइट में बदलाव करना चाहिए?
    • तीसरी तिमाही में अधिक पोषण और खुराक की आवश्यकता होती है। प्रोटीन, आयरन, कैल्शियम, और विटामिन से भरपूर आहार लेना चाहिए।
Third trimester of pregnancy
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निष्कर्ष

प्रेग्नेंसी की तीसरी तिमाही एक महत्वपूर्ण और चुनौतीपूर्ण समय होता है। इस दौरान महिला का शारीरिक और मानसिक विकास होता है और शिशु की वृद्धि भी तीव्र होती है। सही डाइट, व्यायाम, और नियमित हेल्थ चेकअप से आप इस समय को सुरक्षित और सहज बना सकती हैं। ध्यान रखें कि डॉक्टर की सलाह पर चलना इस समय बेहद जरूरी है।

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