Second Trimester of Pregnancy-: गर्भवस्था की दूसरी तिमाही (13वें सप्ताह से 26वें सप्ताह तक) बहुत महत्वपूर्ण होती है। यह वह समय होता है जब गर्भवती महिला को कई बदलावों का सामना करना पड़ता है। इस दौरान, न सिर्फ महिला का शरीर बदलता है, बल्कि उसके गर्भ में पल रहे शिशु का भी विकास तेजी से होता है। इस लेख में हम जानेंगे कि प्रेग्नेंसी की दूसरी तिमाही के दौरान क्या-क्या शारीरिक और मानसिक बदलाव होते हैं, साथ ही, इसके दौरान महिलाओं को क्या सावधानियाँ बरतनी चाहिए और किस प्रकार की डाइट का पालन करना चाहिए।
प्रेग्नेंसी की दूसरी तिमाही के लक्षण
गर्भवस्था की दूसरी तिमाही में कुछ प्रमुख लक्षण दिखाई देने लगते हैं जो पहली तिमाही से अलग होते हैं। इनमें से कुछ प्रमुख लक्षण हैं:
- गर्भाशय का आकार बढ़ना: इस समय गर्भाशय का आकार बढ़ने लगता है, जिससे पेट बाहर की ओर उभरता है।
- शिशु की हलचल महसूस होना: दूसरी तिमाही में गर्भवती महिला को गर्भ में पल रहे शिशु की हलचल महसूस होने लगती है।
- ब्लड प्रेशर में कमी: ब्लड प्रेशर सामान्य से कम हो जाता है, जिससे चक्कर आना, थकान महसूस होना आदि समस्याएँ हो सकती हैं।
- पेट और शरीर में दर्द: बच्चे के विकास के साथ-साथ शरीर में दर्द भी बढ़ सकता है, खासकर पीठ और कमर में।
- भूख का बढ़ना: गर्भवती महिला को अचानक ज्यादा भूख लगने लगती है और वह बार-बार खाने का मन करती है।
- स्किन में बदलाव: निप्पल्स के आसपास की त्वचा डार्क हो सकती है और त्वचा पर धब्बे भी दिखाई दे सकते हैं।
- खिंचाव के निशान: पेट, स्तन, जांघों और नितंबों पर खिंचाव के निशान बनने लगते हैं।
- पैरों में सूजन: कुछ महिलाओं को पैरों में सूजन की समस्या हो सकती है।
प्रेग्नेंसी की दूसरी तिमाही में होने वाले मेडिकल टेस्ट
गर्भवती महिला के स्वास्थ्य की निगरानी के लिए दूसरी तिमाही में कुछ महत्वपूर्ण मेडिकल टेस्ट किए जाते हैं। इन परीक्षणों के दौरान डॉक्टर महिला के स्वास्थ्य और मेडिकल हिस्ट्री के आधार पर विशेष सलाह देते हैं। इनमें निम्नलिखित टेस्ट शामिल हो सकते हैं:
- लेवल-2 अल्ट्रासाउंड: इस दौरान डॉक्टर बच्चे की स्थिति और विकास का मुआयना करने के लिए अल्ट्रासाउंड करवाते हैं।
- ग्लूकोज स्क्रीनिंग: यह टेस्ट जेस्टेशनल डायबिटीज का पता लगाने के लिए किया जाता है।
- थायराइड टेस्ट: यह गर्भवती महिला के थायराइड की स्थिति को देखने के लिए होता है।
- हेपाटाइटिस-सी और टीबी टेस्ट: कुछ महिलाओं के लिए इन परीक्षणों की भी सलाह दी जा सकती है।
प्रेग्नेंसी की दूसरी तिमाही में डाइट
गर्भवस्था की दूसरी तिमाही में, महिला को अपने आहार पर विशेष ध्यान देना चाहिए। इस समय बच्चे का विकास तेज़ी से हो रहा होता है, इसलिए सही पोषण बेहद जरूरी है। विशेषज्ञों के अनुसार, निम्नलिखित पोषक तत्वों को डाइट में शामिल करना चाहिए:
- कैल्शियम: कैल्शियम के स्रोत जैसे दूध, दही, पनीर आदि का सेवन बढ़ाना चाहिए।
- आयरन: आयरन की आपूर्ति के लिए हरी पत्तेदार सब्जियाँ, किनोवा आदि खानी चाहिए।
- विटामिन-सी: आयरन के साथ विटामिन-सी का सेवन भी बहुत जरूरी है। इसके लिए खट्टे फल और ड्राई फ्रूट्स अच्छे विकल्प हैं।
- ओमेगा-3 फैटी एसिड: यह बच्चे के विकास के लिए बहुत फायदेमंद होता है।
- विटामिन-बी और विटामिन-डी: अंडे, पालक, दालों में इन विटामिन्स की अच्छी मात्रा होती है, जो बच्चे के विकास के लिए महत्वपूर्ण हैं।
इसके साथ ही, कच्चा मांस और कच्चे अंडे खाने से बचना चाहिए, क्योंकि इससे मिसकैरेज का खतरा बढ़ सकता है।
प्रेग्नेंसी की दूसरी तिमाही में सावधानियाँ
दूसरी तिमाही के दौरान कुछ महत्वपूर्ण सावधानियाँ बरतनी चाहिए, ताकि गर्भवती महिला और उसका बच्चा स्वस्थ रह सकें:
- लोअर बैक और पेल्विक एरिया में दर्द: बच्चे के बढ़ते वजन के कारण महिलाओं को पीठ और पेल्विक एरिया में दर्द महसूस हो सकता है। इसे कम करने के लिए नियमित रूप से हल्की एक्सरसाइज करना और फिजियोथेरेपी लेना लाभकारी हो सकता है।
- स्ट्रेच मार्क्स: स्ट्रेच मार्क्स के लिए कोई इलाज नहीं होता, लेकिन कुछ लोशन का उपयोग कर इन निशानों को कम किया जा सकता है।
- वर्कआउट: यदि आप नियमित रूप से वर्कआउट करती हैं, तो बहुत भारी एक्सरसाइज से बचें। हमेशा एक्सपर्ट से सलाह लेकर ही कोई नया वर्कआउट शुरू करें।
प्रेग्नेंसी की दूसरी तिमाही में भ्रूण का विकास
इस दौरान बच्चे का विकास बहुत तेजी से होता है। पहले के मुकाबले बच्चा अधिक सक्रिय होता है और उसके अंगों का विकास शुरू हो जाता है:
- 13वें सप्ताह: बच्चे के फिंगर प्रिंट्स बनने लगते हैं और उसका आकार लगभग 3 इंच का हो जाता है।
- 14वें सप्ताह: इस समय बच्चे के बाल और त्वचा का विकास शुरू होता है।
- 15वें सप्ताह: बच्चे का सेक्स रिवील होता है, यानी इस समय यह पता चलता है कि बच्चा बेटा है या बेटी।
- 16वें सप्ताह: शिशु का स्कैल्प पैटर्न विकसित होता है और उसका दिल पंप करना शुरू कर देता है।
- 17वें सप्ताह: बच्चे की हड्डियाँ मजबूत होने लगती हैं, और उसकी त्वचा पर भी बदलाव होने लगते हैं।
- 18वें सप्ताह: बच्चे के गुप्तांग पूरी तरह से विकसित हो जाते हैं, जो अल्ट्रासाउंड से देखे जा सकते हैं।
- 19 से 20 सप्ताह: इस समय बच्चे को हिचकी आनी शुरू हो जाती है, और उसकी हलचल भी बढ़ जाती है।
सारांश
गर्भवस्था की दूसरी तिमाही बेहद महत्वपूर्ण होती है, क्योंकि इस समय बच्चे का विकास तेज़ी से होता है और मां के शरीर में कई बदलाव होते हैं। इस दौरान सही आहार, नियमित चेकअप और उचित सावधानियाँ बरतना बहुत जरूरी है। यह समय प्रेग्नेंसी की एक सकारात्मक और विकासात्मक यात्रा होता है, जो भविष्य के लिए एक मजबूत नींव तैयार करता है।
FAQ (अक्सर पूछे जाने वाले सवाल)
1. दूसरी तिमाही में शिशु की हलचल कब महसूस होती है?
दूसरी तिमाही के 16-20 सप्ताह के दौरान गर्भवती महिला शिशु की हलचल महसूस करना शुरू कर सकती है।
2. क्या दूसरी तिमाही में वजन बढ़ना सामान्य है?
जी हाँ, दूसरी तिमाही में वजन बढ़ना सामान्य है, क्योंकि इस समय शिशु का विकास तेजी से होता है।
3. क्या इस समय महिलाएं वर्कआउट कर सकती हैं?
महिलाएं हल्की एक्सरसाइज कर सकती हैं, लेकिन उन्हें भारी वर्कआउट से बचना चाहिए। हमेशा एक्सपर्ट से सलाह लें।
4. क्या दूसरी तिमाही में स्ट्रेच मार्क्स होना सामान्य है?
जी हां, दूसरी तिमाही में स्ट्रेच मार्क्स आना सामान्य है। इसके लिए आप लोशन का इस्तेमाल कर सकती हैं।
5. दूसरी तिमाही में क्या खाना चाहिए?
इस समय कैल्शियम, आयरन, विटामिन-सी, और ओमेगा-3 फैटी एसिड से भरपूर आहार लेना चाहिए।
टेबल: प्रेग्नेंसी की दूसरी तिमाही में महत्वपूर्ण बदलाव
सप्ताह | विकास और बदलाव |
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13वां | फिंगर प्रिंट्स बनना, शिशु का आकार 3 इंच |
14वां | बाल और त्वचा का विकास |
15वां | शिशु का सेक्स रिवील, टेस्ट बड्स का विकास |
16वां | स्कैल्प का पैटर्न विकसित होना |
17वां | हड्डियाँ मजबूत होना |
18वां | गुप्तांगों का विकास, अल्ट्रासाउंड से देखे जा सकते हैं |
19-20वां | हिचकी आना, हलचल में सुधार |
प्रेग्नेंसी की दूसरी तिमाही गर्भवती महिला के लिए बदलावों और विकास का समय होता है। इस समय सही आहार और सावधानियों के साथ इस यात्रा का आनंद लिया जा सकता है।